Saturday, March 21, 2009

judai

आज इस महफिल को सजा रखा है,
हर गम को दिल में दबा रखा है,
सहना है सबकुछ बिना किसी आह के,
हमें यह आपने ही सिखा रखा है

तेरी यादों से इस दामन को सजाया है,
तेरी तस्वीर को दिल से लगाया है,
जीना है कैसे हमदम के बिना,
हमें ये आपने ही सिखाया है

कमबख्त वक्त की रानही रूकती,
एक तरफ़ ये ज़िन्दगी की मार नही रूकती,
तेरी बेवफाई ने झुकना सिखाया है,
वरना हर कहीं दीवार नही झुकती

तेरी यादों पे ही जिंदा रहते हैं,
अपनी ही तन्हाई में बहते हैं,
तून भूलें हैं न भूल पाएंगे,
हम तो हर वक्त यही कहते हैं

बहारें इश्क की आयेंगी तो क्या होगा,
फिर भी तू न आएगी तो क्या होगा,
जीना तेरे बिना है बेकार सनम,
अब यह जान भी जायेगी तो क्या होगा

तेरे हर इशारे को समझते रहे,
अपने हाल में ही उलझते रहे,
वो इशारे न हमारे थे शायद,
हम युहीं सदा बेवक्त सजते रहे..........

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